Thursday 9 November 2017

और दिल्ली काली हो गई

       दिल्ली में सब तरफ धुआं धुआं है। धुएं से तकलीफ है। धुआं लोगों की सांसो में और उनके जीवन में दाखिल हो गया है ।आंखें चुभ रही हैं। गले जल रहे हैं। घर से बाहर निकलना तक मुहाल है और इस अवसर पर बाहर समाचार चैनलों के कैमरे उजाला फैलाए हुए हैं। राजनीति अपना काम पूरी तन्मयता से कर रही है । आरोप और प्रत्यारोप के वाण इस ओर से उस ओर लगातार सफर कर रहे हैं। इतना कुछ हो रहा है मगर यह सब अंधेरे के लिए हो रहा है। वह अंधेरा जो धुएं से पैदा हुआ । धुआं कैसे पैदा हुआ और उसे कैसे रोका जाए इस पर ज्यादा बात नहीं हो रही। मेरा विचार है इन सवालों पर बात हो, संवाद हो तो , हल भी निकलेगा और लोगों को थोड़ी राहत भी मिलेगी ।
लोग राहत मांग रहे हैं और उन्हें खबरें मिल रही हैं या राजनीतिक बयान ।
बहुत दुखद है यह।