tag:blogger.com,1999:blog-517769475523457252.post5017141248747285526..comments2022-10-22T06:12:15.316-07:00Comments on अक्षर अनंत: इस देश का यारों क्या कहनाआशुतोष कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/00714098921888708160noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-517769475523457252.post-41045452411401203892011-07-14T19:26:59.690-07:002011-07-14T19:26:59.690-07:00बहुत खूब कहा आपने आशुतोष - ख़ुशी है जो आप जैसे सशक...बहुत खूब कहा आपने आशुतोष - ख़ुशी है जो आप जैसे सशक्त गद्य लेखक को एक सशक्त कवि के रूप में देख रहा हूँ - शुभकामनाएँ - मुझे लगता है कि " खाकी का चैन हराम" में कुछ छूट रहा है - जैसे - खाकी का है चैन हराम या है खाकी का चैन हराम या खाकी का अब / फिर चैन हराम या आप अपनी पसंद से - देख लें - अपनी आदत से मजबूर लीजिए इसी गोत्र-मूल की कुछ त्वरित पंक्तियाँ -<br /><br />हालत का जो किया बखान <br />यही हकीकत दिल से मान<br />सत्ता लगती है हलकान<br />सुमन बचाओ खुद का प्राण<br /><br />सादर<br />श्यामल सुमन<br />09955373288<br />http://www.manoramsuman.blogspot.com<br />http://meraayeena.blogspot.com/<br />http://maithilbhooshan.blogspot.com/श्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.com