छह दशकों के बाद भी चले भूख का राज |
किनको आज़ादी मिली विकट प्रश्न यह आज | |
विकट प्रश्न यह आज तिरंगा क्यों फहराएँ ?
किस मुंह से हम आज़ादी का जश्न मनाएं ?
लाल किले से भाषण खूब पिलाने वालों ?
जनता को बहलाने और फुसलाने वालों ?
फिर गांधी की आहट पा कर भौंक रहे हो ?
भगत सिंह की गुर्राहट पे चौंक रहे हो ?
इंक़लाब का बिगुल बजाना ही होगा चौराहों पर |
और नगाड़ा उलगुलान का सत्ता के गलियारों पर ||
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