बम्बई में आखिर होता क्या है ????
एक धमाका सर ए आम
कभी दोपहर ,कभी शाम
सांसत में लोगों की जान
मिला मीडियाको फिर काम
खाकी का चैन हराम
नेताओं का वही बयान
सब करवाए पाकिस्तान
सुनो साहिबों ,सुनियो जान
बहुत खा चुके हम सब पान
छर्रों की अब खुली दुकान
प्योर मेड इन पाकिस्तान
एक धमाका काम तमाम
खा कर बोलो जय श्री राम
मेरा भारत देश महान ||
----- आशुतोष कुमार झा
बहुत खूब कहा आपने आशुतोष - ख़ुशी है जो आप जैसे सशक्त गद्य लेखक को एक सशक्त कवि के रूप में देख रहा हूँ - शुभकामनाएँ - मुझे लगता है कि " खाकी का चैन हराम" में कुछ छूट रहा है - जैसे - खाकी का है चैन हराम या है खाकी का चैन हराम या खाकी का अब / फिर चैन हराम या आप अपनी पसंद से - देख लें - अपनी आदत से मजबूर लीजिए इसी गोत्र-मूल की कुछ त्वरित पंक्तियाँ -
ReplyDeleteहालत का जो किया बखान
यही हकीकत दिल से मान
सत्ता लगती है हलकान
सुमन बचाओ खुद का प्राण
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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