Thursday 14 July 2011

इस देश का यारों क्या कहना

बम्बई में आखिर होता क्या है ????

एक धमाका सर ए आम 
कभी दोपहर ,कभी शाम 
सांसत में लोगों की जान 
मिला मीडियाको फिर काम 
खाकी का चैन हराम
 नेताओं का वही बयान
सब करवाए पाकिस्तान
सुनो साहिबों ,सुनियो जान 
बहुत खा चुके हम सब पान 
छर्रों की अब खुली दुकान 
प्योर मेड इन पाकिस्तान 
एक धमाका काम तमाम 
खा कर बोलो जय श्री राम 
मेरा भारत देश महान  ||

----- आशुतोष कुमार झा 

1 comment:

  1. बहुत खूब कहा आपने आशुतोष - ख़ुशी है जो आप जैसे सशक्त गद्य लेखक को एक सशक्त कवि के रूप में देख रहा हूँ - शुभकामनाएँ - मुझे लगता है कि " खाकी का चैन हराम" में कुछ छूट रहा है - जैसे - खाकी का है चैन हराम या है खाकी का चैन हराम या खाकी का अब / फिर चैन हराम या आप अपनी पसंद से - देख लें - अपनी आदत से मजबूर लीजिए इसी गोत्र-मूल की कुछ त्वरित पंक्तियाँ -

    हालत का जो किया बखान
    यही हकीकत दिल से मान
    सत्ता लगती है हलकान
    सुमन बचाओ खुद का प्राण

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
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