बहरे समय में वसंत का गीत
झुन्ड के झुन्ड गानेवाली
चहचहाकर विन्दु-समुद्र बनानेवाली
घर-आँगन बसेरा बसाने वाली
नन्ही-सी, भूरी-सी चिड़िया
दिखती नहीं आजकल कहीं
तिनके उठाते हुए,
सिलसिलेवार सजाते हुए,
घोंसला बनाते हुए,
ढेर सारी चिड़ियाँ
चहचहाते हुए ।
हम आठ फ़ीसदी की दर से
विकास कर रहे हैं--
भूरी चिड़िया
दिखती नहीं आज कल कहीं ;
अगले साल
जब हम विकास दर बढ़ा कर
दस फ़ीसदी पर लाएंगे
क्या पता,
हमीं ग़ायब हो जाएंगे ।
आज अचानक
तीन गौरय्ये दिख पड़े
घर के आहते में
मैं भागते हुए घर में घुसा
खोल दीं
खिड़कियाँ-दरवाज़े सभी...
..... अपना ली
स्वागत की मुद्रा
-- जहाँ चाहो, घर बना लो
विकास के आंकड़ों के ऊँचा-दर-ऊँचा उठते
तीर से बचे हुए गौरय्यों--
सुनना चाहता हूँ तुम्हारे कंठ से
इस बहरे समय में....
वसंत का गीत ।
-- आशुतोष कुमार झा
व्याख्याता, हिन्दी विभाग.
मिसेज़ के.एम.पी.एम.इण्टर कॉलेज.
बिष्टुपुर, जमशेदपुर ८३१००१
झुन्ड के झुन्ड गानेवाली
चहचहाकर विन्दु-समुद्र बनानेवाली
घर-आँगन बसेरा बसाने वाली
नन्ही-सी, भूरी-सी चिड़िया
दिखती नहीं आजकल कहीं
तिनके उठाते हुए,
सिलसिलेवार सजाते हुए,
घोंसला बनाते हुए,
ढेर सारी चिड़ियाँ
चहचहाते हुए ।
हम आठ फ़ीसदी की दर से
विकास कर रहे हैं--
भूरी चिड़िया
दिखती नहीं आज कल कहीं ;
अगले साल
जब हम विकास दर बढ़ा कर
दस फ़ीसदी पर लाएंगे
क्या पता,
हमीं ग़ायब हो जाएंगे ।
आज अचानक
तीन गौरय्ये दिख पड़े
घर के आहते में
मैं भागते हुए घर में घुसा
खोल दीं
खिड़कियाँ-दरवाज़े सभी...
..... अपना ली
स्वागत की मुद्रा
-- जहाँ चाहो, घर बना लो
विकास के आंकड़ों के ऊँचा-दर-ऊँचा उठते
तीर से बचे हुए गौरय्यों--
सुनना चाहता हूँ तुम्हारे कंठ से
इस बहरे समय में....
वसंत का गीत ।
-- आशुतोष कुमार झा
व्याख्याता, हिन्दी विभाग.
मिसेज़ के.एम.पी.एम.इण्टर कॉलेज.
बिष्टुपुर, जमशेदपुर ८३१००१
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